ना ख्वाइश है कोई सपने सजाने की,
ना वजह है किसी को अपना बनाने की.
टूट कर गिरे है आसू आखोँ से इस कदर,
ना कोई चाहत है किसी को चाहने की.
हर मोड़ पर अपनों ने ही तोडा है दिल,
ना कोई उम्मीद है दिल में उम्मीद जगाने की.
नहीं टुटा में और नाही हारा में जिन्दगी से,
नहीं भरोसा मुझे किसी का साथ निभाने की.
कैसे कहू मै ऐ दोस्तों मेरे बारे में यह बात,
नहीं दी इजाजत खुदा ने मुझे किसी के दिल में रहने की.
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