पवन तनय सब संकट टारो।
लोभ, मोह,मद,मत्स्य घेरे,
इनसे मोहि उबारो।।
मैं पापी अति अधम अभागा,
तेरी नाम बिसारो।
भवसागर में डूबन लागो,
कोटि जतन कर हारो।।
अंग-अंग सब शिथिल भयो है,
चलत न एको चारो।
अब शरणागत तेरे स्वामी, पकडो हाथ हमारो।।
पवन तनय सब संकट टारो।
आज के दिन की शुभता की मंगल कामना के साथ, सुप्रभात
जै जै सियाराम
लोभ, मोह,मद,मत्स्य घेरे,
इनसे मोहि उबारो।।
मैं पापी अति अधम अभागा,
तेरी नाम बिसारो।
भवसागर में डूबन लागो,
कोटि जतन कर हारो।।
अंग-अंग सब शिथिल भयो है,
चलत न एको चारो।
अब शरणागत तेरे स्वामी, पकडो हाथ हमारो।।
पवन तनय सब संकट टारो।
आज के दिन की शुभता की मंगल कामना के साथ, सुप्रभात
जै जै सियाराम
Comments
Post a Comment