जय माँ
|| सारे आलम में बढ़कर है माँ शेरावाली का दरबार ||
सारे आलम में बढ़कर है , माँ शेरावाली का दरबार |
एक बार जो पहुँच गया , वो आना चाहे बारम्बार ||
यहाँ ठिकाना मिलता है , हर एक आने वाले को |
मैया भी देती हैं आदर , हर एक बुलाने वाले को ||
इसीलिए सारे ब्रह्माण्ड में, होता है माँ का जयकार |
सारे आलम में बढ़कर है , माँ शेरावाली का दरबार ||
नजरो के एक इशारे से , यहाँ झोली भर दी जाती है |
नहीं जरूरत है कहने की , सूरत ही पढ़ ली जाती है ||
किसी को मिले संतान , किसी को दौलत का अम्बार |
सारे आलम में बढ़कर है , माँ शेरावाली का दरबार ||
‘श्याम’ बना यहाँ बंसीवाला , राम भी बना धनुधारी |
विष्णु को मिला चक्र सुदर्शन , भोले बन गए भंडारी ||
मंगता नहीं बना इस दर कोई , माँ ऐसा तेरा प्यार |
सारे आलम में बढ़कर है , माँ शेरावाली का दरबार ||
जय माँ शेरा वाली
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