एक वकील (THE LAWYER)

एक वकील (THE LAWYER)



एक वकील ” ऐसा भी

.
.
.
.
.
.

गुजरात में एक प्रसिद्ध वकील रहा करते थे । एक बार वे एक मुकदमा लड़ रहे थे कि गाँव में उनकी पत्नी बीमार हो गई । वे उसकी सेवा करने गाँव पहुचे कि उन्ही दिनों उनके मुक़दमे की तारीख पड़ गई ।
एक तरफ उनकी पत्नी का स्वास्थ्य था, तो दूसरी और उनका मुकदमा । उन्हें असमंजस में देख पत्नी ने कहा — “मेरी चिंता न करे, आप शहर जाये । आपके न रहने पर कहीँ किसी बेकसूर को सजा न हो जाये ।”
वकील साहब दुःखी मन से शहर पहुचे और जब वे अपने मुवक्किल के पक्ष में जिरह करने खड़े हुए ही थे कि किसी ने उनको एक टेलीग्राम लाकर दिया । उन्होंने टेलीग्राम पढ़कर अपनी जेब में रख लिया और बहस जारी रखी । अपने सबूतो के आधार पर उन्होंने अपने मुवक्किल को निर्दोष सिद्ध कर दिया, जो कि वह था भी ।
सभी लोग वकील साहब को बधाई देने पहुँचे और उनसे पूछने लगे कि टेलीग्राम में क्या लिखा था ?वकील साहब ने जब वह टेलीग्राम सबको दिखाया तो वे अवाक् रह गए । उसमे उनकी पत्नी की मृत्यु का समाचार था । लोगों ने कहा – “आप अपनी बीमार पत्नी को छोड़कर कैसे आ गए ?”
वकील साहब बोले –“आया तो उसी केआदेश से ही था ; क्योकि वह जानती थी कि बेकसूर को बचाने का कर्तव्य सबसे बड़ा धर्म होता है “।
वे वकील साहब और कोई नहीं — सरदार वल्लभ भाई पटेल थे, जो अपनी इसी कर्तव्यपरायणता के कारण लौह पुरुष कहलाये।

Comments